Intensive Emergency: इंदौर, स्टेज पर विभिन्न तरह की बीमारियों के लक्षणों की एक्टिंग करते लोग और इस अभिनय के जरिए सीख देते डॉक्टर्स… यह नजरा ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन (आइएससीसीएम) की ओर से आयोजित जन जागरूकता कार्यक्रम के दौरान देखने को मिला। इस कार्यक्रम का आयोजन आइएससीसीएम की 22 से 26 फरवरी तक चलने वाली 29वीं वार्षिक कार्यशाला के तहत किया गया था। इस जागरूकता कार्यक्रम में डॉक्टरों ने ड्रामा क्रिएट करके समझाया कि इंटेंसिविस्ट इमरजेंसी स्थिति (लकवा, मिर्गी, हार्ट अटैक, इंफेक्शन, दमा, ट्रामा, बर्न, सांप काटने, पॉइजनिंग, आदि) में क्या करना चाहिए और या क्या नहीं। यह अपने आप में बेहद अनोखा कार्यक्रम था जिसमें हर परिस्थिति को अभिनय के जरिए दिखाया जा रहा था, वीडियो से उसके बारे में समझाया जा रहा था साथ विशेषज्ञों डॉक्टरों द्वारा ऐसी परिस्थिति में क्या करना चाहिए इस बारे में जानकारी दी जा रही थी।
जरूरत पड़ने पर मैंक्यूइन की मदद भी ली गई। इस पूरे कार्यक्रम को डॉ. संजय धानुका, डॉ. आनंद सांघी, डॉ. राजेश पाण्डेय, डॉ. विवेक जोशी और डॉ. निकलेश जैन ने मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ मिलकर आयोजित किया था। डॉक्टर्स ने यहाँ बताया कि आमतौर पर लोग कहते हैं कि सब अच्छा था, अचानक इनकी तबियत बिगड़ी या सिर्फ सर्दी-झुकाम था और बुखार आ रहा था पर शरीर में कुछ भी अचानक नहीं होता। किसी भी बड़ी बीमारी के पहले शरीर छोटे-छोटे सिग्नल्स देता है, जिसे पहचानकर हम बड़ी दुर्घटओं को टाल सकते हैं। डॉक्टर्स द्वारा जन जागरुकता कार्यक्रम द्वारा दी गई सीख इस प्रकार है :-
खाने की नली में यदि निवाला फंस जाएं तो खांसने का प्रयास करें
डॉक्टर ने डेमोस्ट्रेशन के जरिए बताया कि यदि बच्चों केस में ऐसा हो तो बच्चे को उल्टा करके उसके पीठ पर थपथपाएं। यदि आप अकेले है तो कुर्सी से पेट डबा के आगे की तरफ झुक कर खांसना चाहिए, यदि कोई साथ में है तो उसे पीछे से पेट दबवाएं और खांसी करें। अगर खांसी आ जाती हैं तो फंसा निवाला निकल जाएगा।
एक्सीडेंट के मामलों में शरीर को बिना हिलाए हॉस्पिटल ले जाएं
एक्सीडेंट के बारे में डेमोस्ट्रेशन देते हुए डॉक्टर ने कहा कि ज्यादातर एक्सीडेंट के मामलों में यह होता है कि भीड़ बहुत ज्यादा इकट्ठा हो जा जाती है इस तरह के मामलों में सबसे जरूरी बात इस बात का ध्यान रखना है की भीड़ ज्यादा न लगाएं। अगर चोट गंभीर नजर आ रही है तो वाद-विवाद और गलती निकालने के बचाएं हॉस्पिटल का रुख करें। सही समय पर हॉस्पिटल पहुंचने वाले ट्रामा केसस में ज्यादातर पॉजिटिव रिजल्ट देखने को मिलते है। घायल को उठाते समय कोशिश करें पूरे शरीर के नीचे हाथ लगाएं, गर्दन को सपोर्ट दे और कम से कम हिलाते हुए उसे सीधे स्ट्रेचर पर रखें या सीधे लेटाए।
हार्ट अटैक आए तो अचेता मरीज को सीपीआर दें
किसी मरीज को यदि हार्ट आता है और वह होश में है तो उसे तुरंत हॉस्पिटल ले जाएँ। यदि वो अचेत हो गया है तो एम्बुलेंस को बुलाकर उसे सीपीआर देना शुरू करें। सीपीआर दो लोग दें तो बेहतर होता है। सीपीआर में मरीज की छाती के बीच में दोनों हथेलियों की मदद से एक सेकंड में दो बार 5 सेंटीमीटर तक दबाना और फिर छोड़ना होता है। एक मिनिट में 100 से 120 बार इस प्रक्रिया को दोहराना होता है इसलिए दो लोग इंटरचेंज करते हुए सीपीआर दें तो बेहतर होता है। 30 बार कम्प्रेस करने के बाद 10 सेकंड में 2 बार मरीज को एक फ़िल्टर लगाकर मुंह के जरिए साँस दें फिर सीपीआर दोबारा शुरू कर दें। सीपीआर का डेमोस्ट्रेशन मेनीक्विन्स पर लाइव दिया गया। इसे टेक्निकली समझने के लिए डॉक्टर्स ने यूट्यूब देखने की सलाह भी दी।
जले हुए स्थान को नल के पानी से धोएं
डाक्टरों ने कार्यक्रम में बताया कि सांप के काटने पर बांधने से कोई फायदा नहीं होता, जहर तुरंत शरीर में फैल जाता है। इसी तरह खून चूसने से भी जहर नहीं निकलता बल्कि जो ऐसा कर रहा है , उसका जीवन भी खतरे में आ सकता है। इस प्रकार की परिस्थिति में बिना देर किए सीधे डॉक्टर के पास जाएं। डॉक्टर्स ने ड्राम के जरिए बताया कि यदि कोई व्यक्ति जल जाता है तो उस स्थिति में नल का पानी सबसे पहले डालें। नल के पीने योग्य पानी को डालने पर किसी भी तरह का इंफेक्शन नहीं होता है। इसके बाद डॉक्टर की सलाह पर आगे का इलाज कराएं
लकवा आने पर शुरुआती 4 घंटे सबसे कीमती
डॉक्टरों ने कहा कि यदि आप के आस-पास किसी व्यक्ति का अचानक अगर चेहरा टेढ़ा हो जाए है या व्यक्ति जुबान से बोल नहीं पा रहा हो तो या अचानक से हाथ या पांव चलना बंद हो जाए तो यह सभी लकवा के लक्षण होते हैं। इस तरह के मामलों में आपको उस व्यक्ति को सबसे पहले ऐसी जगह पर लेकर जाना चाहिए जहां सिटी स्कैन हो जाएं और उसके तुरंत बाद इलाज शुरू हो जाएं। इस तरह के मामलों में 4 घंटे 30 मिनट का अधिकतम समय होता है। ऐसे में अगर आप सही समय पर पहुंच जाते हैं तो सीटी स्कैन की रिपोर्ट में क्लॉट दिखता है तो दवा देकर उसे रिकवर किया जा सकता है। ब्लीडिंग के मामले में भी समय पर इस समय सीमा पर पहुंचने पर रिकवरी अच्छी होती है।
मिर्गी के दौरान हाथ पैर पकड़े नहीं
डाक्टरों ने कहा कि अगर किसी को मिर्गी आ रही है तो उसके हाथ और पैर को पकड़ने की कोशिश ना करें। अगर संभव हो तो उसके नीचे कोई मुलायम चीज रख दें जिससे की उसके हाथ-पैर में इधर-उधर टकराने की वजह से कोई गंभीर चोट ना लग जाए। जब मिर्गी रूक जाए तो उसे इस प्रकार से सपोर्ट दें ताकि उसके मुंह से निकली लार फेफड़ों में न चली जाएं। वहीं डॉक्टरों ने अभिनय के जरिए दर्शाया कि ब्रेन डेड के मामले में अब ये सोच बदलनी होगी कि शरीर को खंडित न करें। एक ब्रेन डेड शरीर 6 लोगों को नई जिंदगी दे सकता है।
अन्य जरूरी टिप्स
– अगर आप 60 साल से ऊपर के हैं और डायबिटीक है तो नोमिनिया का वैक्सीनेशन लगवाये।
– ओल्ड एज में लोग की ज्यादातर गिरने घटनाएं होती हैं। इससे बचने के लिए 55 साल उम्र से बैलेसिंग को अपने एक्सरसाइज में शामिल करें।
– सेल्फ मेडिकेशन ना करें इससे इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है। बॉडी दवाई का रिएक्शन करना बंद कर देगी।