Indore Crime News: इंदौर, क्राइम ब्रांच ने फर्जी काल सेंटर ठगी मामले में एजेंट रवि रामी को गिरफ्तार किया है। मूलत: अहमदाबाद निवासी रवि अमेरिकी नागरिकों को ठगता था। उसने दलाल शैलेष पंड्या वत्सल्य मेहता, तुषार और देवेश त्रिवेदी का नाम स्वीकार किया है। शैलेष स्वयं को पूर्व राज्यपाल का करीबी बताता है। आरोप है कि उसने मुख्य आरोपित करण भट्ट से क्राइम ब्रांच के नाम पर 70 लाख रुपये ले लिए।
नवंबर 2020 में क्राइम ब्रांच ने ओके सेंट्रल बिल्डिंग (निपानिया) में फर्जी इंटरनेशनल काल सेंटर पर छापा मारा था। पुलिस ने जोशी वट्टपरबिल, फ्रांसिस, जयराज पटेल, मेहुल, संदीप, यश प्रजापति, हिमांशु सांचला, अक्षत, चंचल, रोहित, विशाल, विश्व दवे, रोशन गोस्वामी, जितेंद्र, अर्चित विजयवर्गीय, राहुल श्रीवास्तव, करण, कुलदीप, चिंतन सहित अन्य लोगों को पकड़ा था। हालांकि मौके से मुखिया करण भट्ट फरार हो गया था। उसे पिछले वर्ष उत्तराखंड से पकड़ा गया था। उससे मिले सुराग के आधार पर ही रवि का नाम सामने आया। रवि शातिर ठग है। उसके विरुद्ध अहमदाबाद में केस दर्ज है। भनक लगते ही वह फरार हो गया था।
जांच एजेंसियों को चकमा देने के लिए वह इंटरनेट कालिंग का ही उपयोग करता था। रविवार को डीसीपी (अपराध) निमिष अग्रवाल को जानकारी मिली थी कि रवि को अहमदाबाद के ओधव क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया गया। बीबीए स्नातक रवि अमेरिकी नागरिकों से ठगी गई राशि को भारतीय मुद्रा में परिवर्तन करवाने की अहम कड़ी है।
मंगलवार को हुई पूछताछ में रवि रामी ने बताया कि गिरोह के मुखिया करण भट्ट की शैलेष पंड्या से दोस्ती है। पंड्या स्वयं को पूर्व राज्यपाल की बेटी का दोस्त बताता है। वह केस को रफादफा करवाने के नाम से करण से 70 लाख रुपये ले चुका है। पुलिस अब भी पंड्या की तलाश में जुटी है।
एफबीआइ के रडार पर था आरोपित
रवि को पिछले वर्ष अहमदाबाद की साइबर सेल ने भी गिरफ्तार किया था। उसके बारे में अमेरिकी जांच एजेंसी एफबीआइ ने ही इनपुट साझा किया था। आरोपित स्वयं को सोशल सिक्योरिटी नंबर (एसएसएन) अधिकारी बनकर अमेरिकी नागरिकों को धमकाते थे। उन्हें अवैध गतिविधियों में लिप्त, मादक पदार्थों की खरीद-फरोख्त और बैंक फर्जीवाड़ा में शामिल होने की धमकी देते थे।
बाद में मामला रफा-दफा करने के नाम पर उनसे रुपये (डालर) जमा करवा लिए जाते थे। अगस्त 2021 में रवि को साथी पार्थ भट्ट के साथ पकड़ा गया था। गौरतलब है इस मामले में एफबीआइ जांच करने इंदौर आई थी। करण भट्ट से पूछताछ कर उन लोगों के कथन दर्ज करवाए गए थे, जिनके साथ ठगी हुई थी।