सतीश चंद्र श्रीवास्तव/रायपुर। CG Chunav 2023: पूर्व मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह के भांजे विक्रांत सिंह को खैरागढ़ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा टिकट की घोषणा के साथ ही कांग्रेस के नेता आक्रामक हो गए हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं मोर्चा संभालते हुए आशंका जता दी है कि संभव है कि भांजे को टिकट मिलने के बाद अब डा. रमन सिंह और उनके पुत्र अभिषेक सिंह को टिकट ही नहीं मिले।
कांग्रेस में पारदर्शिता और लोकतांत्रिक प्रक्रिया का दावा करते हुए भुपेश बघेल ने कहा कि भाजपा में पता ही नहीं चला कि कब मंडल, जिला और प्रदेश स्तर पर उम्मीदवारों की सूची तैयार कर ली गई। विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारी के लिए कांग्रेस में 17 अगस्त से शुरू ब्लाक स्तर पर आवेदन की प्रक्रिया को पार्टी की ताकत मानते हुए भूपेश ने भी पाटन से दावेदारी ठोकी है, जहां उनका मुकाबला अपने भतीजे व सांसद विजय बघेल से होना है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था के नेताओं में खानदान की चिंता कोई नई बात नहीं है। भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनसभाओं से लेकर संसद तक वंशवाद के बेल पर प्रहार करते हुए उसे उखाड़ फेंकने का आह्वान करते रहें, नेताओं का पुत्रमोह उभर ही आता है। यह अलग बात है कि कुछ बदनाम हो जाते हैं परंतु उनकी भी संख्या कम नहीं है जिनके नाम का भी पता नहीं चलता और पीढ़ी दर पीढ़ी काम भी चलता रहता है।
प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस के भी कई नेता तीसरी और चौथी पीढ़ी को मैदान में उतारने की तैयारी में हैं। संसदीय कार्य मंत्री और बेमेतरा के साजा क्षेत्र से विधायक रविन्द्र चौबे के पिता देवी प्रसाद चौबे ने भी मध्य प्रदेश सरकार में क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। रविंद्र चौबे के 40 साल के राजनीतिक जीवन के बाद अब वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र अविनाश चौबे दावेदार के रूप में उभरे हैं।