Aditya L1 Mission नासा ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए पहला सूर्य मिशन पायनियर-5 (Pioneer-5) साल 1960 में भेजा था।
Aditya L1 Mission। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब भारत की नजरें सूर्य पर टिकी है। इसरो की ओर से जानकारी दी गई है कि सूर्य मिशन आदित्य एल-1 को 2 सितंबर के दिन सुबह 11.50 मिनट पर लॉन्च किया जाएगा। Aditya L1 Mission भारत का पहला सूर्य मिशन है, जिसके जरिए सौर वायुमंडल यानी क्रोमोस्फेयर और कोरोना की गतिशीलता का अध्ययन किया जाएगा।
सूर्य पर अब तक गए 22 मिशन
सूर्य के कई देशों में सूर्य का अध्ययन करने के लिए होड़ लगी हुई है। अमेरिका, जर्मनी, यूरोपियन स्पेस एजेंसी ने अभी तक कुल 22 मिशन सूर्य की ओर भेजे हैं। इन सभी 22 मिशन में से अभी तक 1 ही मिशन असफल हुआ है। इसमें भी सबसे ज्यादा मिशन नासा की ओर से ही भेजे गए हैं। नासा ने सूर्य का अध्ययन करने के लिए पहला सूर्य मिशन पायनियर-5 (Pioneer-5) साल 1960 में भेजा था।
15 लाख किमी दूर जाएगा Aditya L1 Mission
इसरो का Aditya L1 Mission धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर तक सूर्य की ओर जाएगा। Aditya L1 Mission को लैंग्रेज बिंदु यानी एल-1 तक पहुंचने में 4 माह का समय लगेगा। आदित्य एल-1 में कुल 7 पेलोड लगाए गए हैं, जो इसरो को फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और कोरोना (सूर्य की सबसे बाहरी परत) के अध्ययन में मदद करेगा।
आदित्य मिशन क्यों खास
- Aditya L1 Mission का सबसे खास पेलोड विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ (VELC) है, जिसे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स ने तैयार किया है।
- सूरज और धरती के सिस्टम के बीच मौजूद पहला लैरेंजियन प्वाइंट L1 वास्तव में अंतरिक्ष का पार्किंग स्पेस है।
- Aditya L1 Mission में लगा VELC सूरज की HD फोटो लेगा। हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS) हार्ड एक्स-रे किरणों की स्टडी करेगा।