भोपाल, निजी अस्पतालों में किसी मरीज की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन बिल भुगतान के नाम पर अब मरीज के शव को बंधक नहीं बना सकता। यही नहीं स्वजनों द्वारा शव को प्राप्त न करने या लावारिस होने पर शव को गरिमा के साथ रखना होगा। इस दौरान शव के लिए फ्रीजर या कोल्ड स्टोरेज जैसी व्यवस्था भी करनी होगी। ऐसा ना करने पर अस्पताल के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। स्वास्थ्य विभाग ने गुरुवार को निजी अस्पतालों में शवों के रखरखाव को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किए हैं। कोविड काल में शवों के संरक्षण को लेकर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने स्वत: संज्ञान लेकर यह नियम जारी किए। आयोग द्वारा नए नियम जारी करने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सभी निजी अस्पताल और नर्सिंग होम्स को इस संबंध में पत्र जारी किया।
बनती है विवाद की स्थिति
ज्ञात हो कि कई बार निजी अस्पतालों में बिल भगुतान न होने के बाद मरीज के शव को परिजनों को न सौंपने और विवाद के मामले सामने आते हैं। कई बार परिजन इसके विरोध में अस्पताल में तोड़फोड़ तक कर देते हैं। इन सब विवादों को खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा नए नियम जारी किए गए हैं, हालांकि भोपाल नर्सिग होम एसोसिएशन के अध्यक्ष डा. रणधीर सिंह का कहना है कि निजी अस्पतालों में फ्रीजर नहीं होते, लेकिन अस्पताल इसकी व्यवस्था कर देते हैं। कोई अस्पताल पैसों के लिए शवों को बंधक नहीं बनाता। शवों को परिजनों को सौंपे जाने तक अस्पताल में पूरी गरिमा से रखा जाता है।
छोटे निजी अस्पतालों में नहीं होते फ्रीजर
जारी नए नियमों में परिजनों को शव प्राप्त न होने तक शव को उचित तरीके से फ्रीजर में रखना होगा। हालांकि निजी अस्पतालों में कोल्ड स्टोरेज और फ्रीजर की व्यवस्था नहीं होती। यही नहीं नर्सिंग होम एक्ट में भी छोटे निजी अस्पतालों में कोल्ड स्टोरेज बनाने का प्रावधान नहीं है। ऐसे में निजी अस्पतालों को शव को कोल्ड स्टोरेज तक पहुंचाने की व्यवस्था करनी होगी। शीतगृहों तक परिवहन की निश्शुल्क व्यवस्था भी निजी अस्पतालों को करना होगी।
भोपाल में 400 से ज्यादा निजी अस्पताल
सीएमएचओ कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार शहर में करीब 450 छोटे और बड़े निजी अस्पताल हैं। वहीं करीब एक हजार क्लीनिक पंजीकृत है। इन निजी अस्पतालों में हर रोज करीब 500 मरीजों की मृत्यु होती है।