बागेश्वर को आखिर कब मिलेगी आवारा जानवरों से निजात नगर क्षेत्र में बीते लंबे समय से हर सड़क पर आपको आवारा जानवरों की गश्त देखने को मिल जाएगी। वही नगर वासियों की बीते लंबे समय से मांग थी कि नगर क्षेत्र को आवारा जानवरों से निजात दिलाया जाए लेकिन फिर भी नगर के पुलों व सार्वजनिक स्थानों पर आवारा जानवरों का ताता लगा रहता है। आवारा जानवर कई बार लोगो को चोटिल भी कर चुके है। अस्पताल पुल मे बैठे जानवर बीमार व उनके तीमारदारों के लिए हमेसा खतरा बने रहते है। कई बार कई बीमार व्यक्तियों को भी आवारा जानवरो ने चोटिल किया है। वही शहर के अन्य जगहों पर भी इनका आतंक बना रहता है। स्कूली बच्चे भी डर के साये मे स्कूल जाने को मजबूर है। पर नगरपालिका अपने कार्य को करने से बच रही है। व्यापार संघ अध्यक्ष हरीश सोनी ने बताया कि आवारा जानवर सबसे अधिक व्यापारियों को नुकसान पहुचा रहे है। कई बार कहने पर भी नगरपालिका द्वारा जानवरो को यहां से दूर नही किया जा रहा है उन्होंने नगरपालिका अध्यक्ष को चुनाव के दौरान उनके द्वारा किये गए वादा भी याद दिलाया। उन्होंने कहा कि नगरपालिका चुनाव मे नगरवासियों से अध्यक्ष ने कई वादे किए थे उनमें आवारा जानवरो को शहर से दूर करने की बात भी थी पर अभी तक ऐसा कही देखने को नही मिला। उन्होंने नगरपालिका से जानवरो को बाजार छोडने वालो पर कार्यवाही की भी मांग की।
सवाल यही है कि आखिर आवारा जानवरों की जिम्मेदारी कौन उठाएगा कौन इनको इनको आशियाने तक पहुंचाएगा तमाम बड़े सवाल है लेकिन आवारा जानवरों से निजात दिलाने के लिए आज तक जिला प्रशासन और नगर पालिका की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया। दो साल पहले नगर पालिका ने ओर से आवारा जानवरों को गौशाला तक पहुंचाया गया था। उसके बाद फिर से नगर में आवारा जानवरों का जमावड़ा लग गया।
वही इस मामले में नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी राजदेव जायसी ने बताया कि आवारा जानवरों को गौशाला भेजने के लिए बोर्ड बैठक में इस बात को रखी गयी है और अगली बोर्ड बैठक में भी नगर क्षेत्र से आवारा जानवरों को गौशाला भेजने का प्रस्ताव रखा जाएगा। पर उनका ये जबाब भी रटा रटाया होता है हर बार उनसे जब भी इस बारे मे सवाल पूछा जाता है तो वह यही जबाब देते आए।
वही स्थानीय राजेन्द्र सिंह का कहना है कि पहले भी नगर क्षेत्र में आवारा जानवरों की समस्या थी। पर पहले समय समय पर आवारा जानवरो को शहर से दूर भेजा जाता था। पर कुछ सालो से नगरपालिका ने इस और ध्यान देना ही छोड़ दिया है।
वही स्थानीय देवकी देवी ने बताया कि करीब 7 से 8 साल से समस्या जस की तस बनी हुई। कई बार ये जानवर हमे चोटिल भी कर चुके है। चुनावों मे नेता वादे बहुत करते है पर जनता की मुख्य समस्या कुर्सी मिलते ही गायब हो जाते है। नगरपालिका अध्यक्ष को अपने वादे याद नही तो खुद उन वादों की किताब देख ले शायद कुछ याद आ जाए।
अब सवाल यह है कि क्या नगरपालिका इन आवारा जानवरों के इंतजाम के लिए कोई ठोस कदम उठाया जाएगा या फिर राह चलते लोगों को इनका सामना हर रोज ऐसे ही एक योद्धा बनकर करना होगा। या बिना किसी बड़ी दुर्घटना के नगर पालिका हरकत मे आएगा